पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
किसी से किस दिशा में कौन सा काम करवाए,
परिस्थितिवश होती है सबकी अपनी ही समझ…
सकारात्मकता संग नकारात्मक सोच भी ये लाए,
इंसान काफ़ी सोच-समझकर ही कोई कदम बढ़ाए।
…. अजित कर्ण ✍️