पढाव
जीवन के पढ़ाव तीन हैं
जन्म के बाद पढ़ाई करने तक
नौकरी आरंभ करने से सेवानिवृत्त तक
सेवानिवृत्ति के बाद चिंतन-मनन करने और जीवन में क्या पाया क्या खोया का विश्लेषण करने का आध्यात्म में मन लगाने का जीवन पर्यन्त भाग-दौड़ के बाद सुकून की जिन्दगी जीने का
अपने परिवार के साथ रहे का
सेवानिवृत्ति के बाद
खुश रहे
स्वस्थ रहे
मस्त रहे
सेवानिवृत्त साथियों को सादर समर्पित