“””””पढ़ने दो मुझे पढ़ने दो””””””️️️️
अभी नहीं मेरी उमरिया बाबुल कन्यादान की।
नन्ही हूं मैं कमसिन बिटिया पोथी थमा दो ज्ञान की।
पढ़ने दो मुझे पढ़ने दो – सपने अपने गढ़ने दो ।
पढ़ने दो मुझे पढ़ने – सपनेअपने-गढ़ने दो।।
(१) नाजुक कोमल जीवन मेरा
कुरीतियों की क्यूं भेंट चढ़े
नई भोर है दौर नया है
अंधविश्वास में बापू क्यों जकड़े ।
हल्दी मेहंदी विदाई सगाई
सारी रस्में पालूंगी।
हो जाऊं जब बालिग बाबुल
बात कोई ना टालूंगी
दयाकरो निर्दय बनो ना ।
अरमान मेरे मत मरने दो ।
पढ़ने दो मुझे पढ़ने दो सपने अपने-गढ़ने दो।
(२) पल-पल का हे कहां भरोसा
कौन सा पल वह आ जाए।
जिसके साथ में जीवन बांधो
काल उसी को खा जाए ।
अधूरी यात्रा कर दोगे नातरा
दोनों में पराजय मेरी है
सुता तुम्हारी कैसे जिएगी
कुप्रथा में बने क्यों बेरी हैं
जिद्द को छोड़ो खुद को मोड़ो ।
युग की राह पकड़ने दो
पढ़ने दो मुझे पढ़ने दो सपने अपने गढ़ने दो।
**भाग एक**
राजेश व्यास अनुनय