पढ़ने को अब समय कहाँ
पल प्रतिपल मै व्यस्त रहूँ,
देखन मे बस मस्त रहूँ ।
घुटता जीवन आज यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥
सुबह उठा तो था दस बजा,
भाग दौड़कर नित्य कर्मकर,
ले शीशा मैं बस खूब सजा ।
खड़ी दुपहरी मिल चाय यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ।।
पल प्रतिपल मै………
कमरे के जो आस पास,
मिले न उनसे राग रास ।
पर कर गप्पे मनभायी,
ले भोजन कर अंगड़ाई ।
हुआ समय दो पार यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥
पल प्रतिपल मैं…..
दे तन को आराम अभी,
उठना अब बज चार जभी ।
उठते मोबाइल से जो,
भिड़ जाना है नाज यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥
पल प्रतिपल मैं…..
कुछ यार दोस्त से कर यारी,
बज मोबाइल बारी बारी,
नेट सर्फिंग भी है अब जारी ।
कुछ चैटिंग से जुड़ तार यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥
पल प्रतिपल मैं……
हुई शाम ज्यों निकल सैर को,
कर गप्पे चुस्की चायों से,
होते वापस आठ बजे को ।
भय तैयारी अब डिनर यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥
पल प्रतिपल मैं…..
खाते खाते दस बज आया,
प्यार मुहब्बत के चक्कर में,
पूरी रात गुजर है जाया ।
नींदों को ना रात यहाँ ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥
पल प्रतिपल मैं व्यस्त रहूँ,
देखन में बस मस्त रहूँ ।
घुटता जीवन आज यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥
©रघु आर्यन©