पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले ‘अकबर’ पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले ‘अकबर’ पढ़ कर जो कोई फूँक दे अप्रैल मई जून —अकबर इलाहाबादी