पटल समीक्षा 238वीं समीक्षक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
230 -आज की समीक्षा*
समीक्षक – राजीव नामदेव राना लिधौरी’
दिन- सोमवार *दिनांक 12-7-2021
*बिषय- *”पंगत” (बुंदेली दोहा लेखन)
आज पटल पै पंगत बिषय पै दोहा लेखन कार्यशाला हती।आज भौत नोने दोहा रचे गय सासउ पंगत जैबै जैसो स्वाद दोहन खां पढ़के लगो।जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। गजब के नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला 1-श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा ने अपने दोहन में लिखों है कै पैला कौ खान पान भौत नौनो हतो अब सब गिद्ध भोज करत है। सभी दोहे नोनै है। बधाई भाऊ।
खान पान पैला हते,ओर पंगत की सान।
कड़ी बरा पुलकियाघी शक्कर सन्मान।।
हातन में थाली लये ,इते उते जे जात।
ठाडे ठाडे खा रहे,खारये जात कुजात।।
2 श्री प्रदीप खरे, मंजुल, पुरानी टेहरी, टीकमगढ़ से कै रय कै पैला पौनछक मिलत ती सो ओइ में अफर जातते अब कां धरी, भौत शानदार दोहे रचे है मंजुल जी बधाई।
पंगत की जांसें सुनी, हाल फूल भइ मोय।
काल दिना की बाठ में,आज रात नहिं सोय।।
पंगत में तो पौनछक, पौन खात छक जात।
कड़ी बरा अरु भात सब,उतइ थरे रै जात।।
3– श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़ सें लिखत हैं कै कच्ची पंगत में बन्न-बन्न कै बिंजन खाबे मिलतते। पंचमेर की का कने । भौत नोने दोहा लिखे है दाऊ ने पंचमेर के दोहा परस दय बधाई।
पंगत पक्की जानिये,बिन्जन भये कै बन्न।
केउ जने हो जात ते,सन्नाटे में सन्न।।
बन्न बन्न बिन्जन बने,पूड़ी अरु पकवान।
पंगत में पचमेर की,अलग रात ती शान।।
4– श्री अवधेश तिवारी जू छिन्दवाड़ा सें पंगत कों हाल बतारय उमदा दोहे रचे है। बधाई।
पंगत में बेटा सदा,सबको साँत निभाव।
जल्दी भर गओ पेट तो,औसई-औंसई खाव।।
पंगत में परसे पुड़ी,तेमन और अचार।
दोना नई थो साँत में,(तो) पल्लई भग गई दार।।
5 श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो ने मडवा तरे की पंगत में गारी सुनत भय खावे में भौत नोनो लगत है। बढ़िया दोहे लिखे है महाराज बधाई।
पंगत की पंक्ती भली,जो साधु संग होय।
ज्ञान भक्ति वैराग्य दृढ़,अपने हिय में जोय।।
पंगत हो मंडप तरें,गावें गारी नार।
समधी जन भोजन करें,हँसे सबहि दें तार।।
6 श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.कय है कै अबै कोरोनावायरस के कारण पंगत नाव की रैय गयी है अब तो भीर नइ जोर सकत जादां जने कौ नइ बुला सकत है। अच्छे दोहे है बधाई।
पंगत ऊकी हो बडी़, जी को बड़ व्यौहार।
द्वारे ऊकें जुरत हैं, नाते रिस्तेदार।।
पंगत केवल नाम की, कोरोना को दौर।
अब कोनउ के ब्याव को, मचे न नैकउ शोर।।
7 श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा से भगवान शंकर जू के ब्याव की पंगत को नौनो वरनन करत है बधाई।
शिवशंकर के ब्याव में, अद्भुत पंगत होय ।
लूले लंगड़े आँदरे, कांनें बूचे सोय ।।
कच्ची -पक्कीं पंगतैं, मँडवा तरें सुहांय ।
नच रय हंस रय प्रेम रस, जिवनारे मुस्कांय ।।
8 डॉ सुशील शर्मा जू गाडरवाड़ा से लिखत है कै पैला पंगत में इतैख खा लेयते है उठतइ नइ बनत तो। सांसी लिखों है बधाई डॉ साहब।
पंगत को न्योता मिलो ,मन में भौतइ चाव।
चार माह के बाद में ,खूब ठूँस के खाव।।
पंगत में बैठे कका ,रसगुल्ला पे दाँव।
अबर सबर खा के गिरे ,अब नै उठ रय पाँव।।
9 डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल ने अनुप्रास अलंकार कौ नोनो प्रयोग करत भय दोहा रचे बधाई।
पंगत बैठी दोर में, होन लगी जवनार।
गारी गारइं गोरियां, समधी हैं रसदार।।
पातर पंगत में लगै,संगे दुनिया आत।
कड़ी बरा ओ भात से, कच्ची पांत पुसात।।
10 श्री संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली ने सबइ दोहा नोनै रचे है। पंगत में सबसें पैला हरदौल जू खौ न्योतौ दऔ जात है। पंगत में फूफा ,समधन,समधी कौ नोनो चित्र खैंचो है। बधाई।
पंगत की बेरा भई,मड़वा नैचें आज।
न्यौत रहे हरदौल खों,आन रखियो लाज।।
समदी जेरय पंगत में,समदन गारी गायँ।
ठोका की जब कै धरी, समदी जू सरमायँ।।
पंगत में मड़वा तरें,फूफा रुच-रुच खायँ।
फुआ मड़ा सें हेरकेँ,विदी-विदी मुसकायँ।।
11 श्री एस आर सरल टीकमगढ़ बुंदेली पकवान को मज़ा पटल से ले रय है भौत मजेदार पंगत बैठा दई बधाई सरल जू।
जय बुन्देली पटल पै, बुन्देली पकवान।
सब कवि पंगत जै रहे,कर कविता रसपान।।
विधा सबइ व्यंजन भए, शब्द हैं नातेदार।
पंगत बैठी पटल पै, सब कवि जेवन हार।।
दोहा रसगुल्ला बनै, गजल बनी है खीर।
अन्य विधा सब रायतों,कवि पंगत की भीर।।
12 श्री डी पी. शुक्ल,, सरस,, टीकमगढ़ ने पंगत को बेहतरीन वरनन करो है बधाई।
पंगत जैसो नईं मजा,बैठ पालथी मार !!
लुचई संग लै राएतौ, दै लडु़वन कौ ढ़ार!!
पंगत बैठी द्वार पै,परसत सवई सुजान!!
रमतूला के बजतई,उठत जात बैठान !!
13 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ से पंगत जैबे वारन खां सचेत कर रय कै कऊ चपेट कै नइ खा लइयो नातर पेट पिरान लगे। सभी दोहे बढ़िया है बधाई।
पंगत जेबे जात हौ, राखें रइयौ ध्यान।
माल मुफत कौ सूंट कें,पेट न लगै पिरान।।
पैले सी पंगत कितै,कां बे जेबे बाये।
अपने पांवन पोंच गये,धरे खाट पै आये।।
14 श्री अरविन्द श्रीवास्तव ,भोपाल पंगत की पैचान बता रय पैला कैसी होतती पंगतें। बधाई बढ़िया दोहे है।
औसर काजै जो जुरैं, जेबैं सब इक साथ,
पंक्ति बैठ भोजन करैं, सो पंगत कैलात ।
पूड़ी सब्जी रायतौ, औ देशी पकवान,
दौना पातर सें हती, पंगत की पहचान ।
15 श्री कल्याण दास साहू “पोषक”,पृथ्वीपुर लिखत है कै पंगत में का का खैबे मिलत है। सभी दोहे नोनै लगे है बधाई।
कच्ची पंगत में मिलत , कढी़ बरा उर भात ।
माँडे़ शक्कर दार घी , खा-खा खूब अघात ।।
चमचोलीं पूडी़ं मिलें , बूढे़ मुरा न पाँय ।
पंगत में हो रायतौ , मींड़ – मींड़ कें खाँय ।।
16 श्री अशोक पटसारिया नादान लिधौरा टीकमगढ़ सें बता रय कै पंगत काय में दइ जातती । शानदार दोहे रचे है बधाई।
मार पाल्थी बैठ गय, पंगत में जजमान।
जैकारे पैलें लगे, फिर लक्ष्मी नारान।।
छेवले की पातर डरी,दुनियाँ धरी संभार।
पानी कौ किंछा लगो,फिर परसी ज्योनार।।
17 राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ लिखत है कै पंगत में सन्नाटे के संगे पूडी मींड कै खाबे को मजई कछु ओर है।
पंगत में तो सूटिये,खीर,बरा अरु भात।
सन्नाटे के साथ में,पुड़ी मींड के खात।।
पंगत बैठी हो रई,बैठे सौ-पचास।
इक संगे सब जीमते,खाते हर्सोल्लास।।
18 श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवा सें पैलां और अबै की पंगतन में अंतर बता रय है। नोने दोहा लिखे है बधाई।
पोंच धनी के द्धार पै,बैठत पांव पखार।
पातर परसी जिन्स सब,सोहत्ती जिवनार।।
परसा जूता पैर रय,खारय जूतइ पैर।
प्रथा पुरानी टूट गइ ,ना निज न कोउ गैर।।
19 श्री हरिराम तिवारी “हरि”खरगापुर सें लिखत है कै पैला कैसे सजधज कै पंगत में जातते। उमदा दोहे है बधाई।
पैर परदनी रेशमी,गरें सुआपी डार।
पंगत जेंबे जात ते,होत भोत सत्कार।।
चौकी आसन डारकें,बैठ पालथी मार।
पंगत में पत्तल परस,फिर परसें जेवनार।।
ई तरां सें आज पटल पै 19 कवियन ने अपने अपने ढंग से प़गत कौ आनंद लऔ है। सबई ने नोनो लिखों है सभई दोहाकारों को बधाई।
?*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*?
समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़ (मप्र)
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#