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26 Nov 2021 · 1 min read

पटरी

✒️?जीवन की पाठशाला ?️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की प्रेम नजदीकी और दूरी का मोहताज नहीं है ,कुछ लोग दूर दूर रहते हुए भी एक दुसरे की धड़कन ,बेचैनी -सब ऐसे महसूस करते हैं जैसे आमने सामने ही हों और आज के युग में अधिकतम साथ साथ रहते भी एक दुसरे से अनजान ही रहते हैं …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो आज है -जो अभी है वही वास्तविक जिंदगी है ,बाकी ये हो जायेगा -ये कर लूँगा -ये देख लेंगें सब भ्र्म लिए ख्वाब हैं …..,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जीवन में कई बार रिश्ते रेल की पटरी की शक्ल अख्तियार कर लेते हैं ,…पास हैं -साथ हैं पर कभी मिल नहीं पाते ….,

आखिर में एक ही बात समझ आई की इंसान योनि में व्यक्ति निश्छल -निष्पाप -देव तुल्य केवल बचपने में ही रह पाता है ,जैसे जैसे उम्र सीढ़ियां चढ़ती है ,विकार -दुनियादारी अपना घोंसला उसके मन मस्तिष्क ह्रदय में बनाने लगते हैं …,

बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान

Language: Hindi
Tag: लेख
215 Views
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