पछतावा
पछतावा
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एक बार की बात है, एक गांव
था। उस गांव में रमेश और सरस्वती नाम के दो बच्चे अपने अपने माता पिता के साथ रहते थे। रमेश छोटा था और सरस्वती उससे दो साल बड़ी थी।
उसकी मां का नाम सीता था।
परंतु सीता हमेशा अपने बेटे रमेश के साथ खेलती थी क्योंकि वो छोटा था।
उसकी बेटी सरस्वती को लगता, था कि मां मुझे प्यार नही करती, थी ।सरस्वती पढ़ाई में बहुत तेज थी, उसकी उम्र लगभग आठ साल थी।
एक दिन सीता बाजार गई और, जब वह घर आई तो रमेश के लिए एक खिलौना लाई और, सरस्वती के लिए एक सुन्दर सा गुड़िया और साइकिल लाई, सरस्वती को ये नहीं पता था, क्यों कि वो बाहर खेल रही थी। घर आने पर वो रमेश को नए खिलौने से खेलते देखी तो उसे बहुत बुरा लगा, उसे लगा कि मां सिर्फ रमेश को ही प्यार करती है। वह बहुत दुखी हो गई। उसकी मां ये सब नहीं समझ पाई,और काम में व्यस्त होने के कारण सरस्वती को नही बता सकी थी , उसके गुड़िया और साइकिल के बारे में।
अगले दिन सरस्वती अपने पापा, कमलेश से बोली पापा मुझे गांव, छोड़ दीजिए मुझे अपने चाचा चाची के पास जाना है, चाची भी उसे बहुत प्यार करती थी। फिर उसके पापा ने पूछा अचानक से गांव की याद क्यों आ गई तुमको।
तो वह रोने लगी और सारी बात अपने पापा को बताई।
उसके पापा ने उसके मम्मी को बुला कर पूछा।
मम्मी आश्चर्यचकित हुई और सरस्वती को गले से लगाकर बोली की उसके लिया क्या-क्या लाई है जो नीचे कोई कमरे में रखा है।
रमेश की तरह ही वो उससे भी प्यार करती है, रमेश छोटा है, रोता रहता है इसीलिए उसके पास रहना पड़ता है।
उसके बाद सरस्वती को बहुत पछतावा हुआ ।
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि कभी बिना सोचे समझे कुछ भी गलत नही सोचना चाहिए।
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…✍?प्रांजल
..कटिहार।