पचपन के बाद(अतुकान्त कविता)
पचपन के बाद(अतुकान्त कविता)
_________________________
पचपन के बाद
आइने में दिखने लगते हैं सफेद बाल
झट से रंग लेते हैं हम उन्हें काले …
कमर दर्द को पेन किलर से दबाते हैं…
चेहरे की झुर्रियों को नकली मुस्कान बिखेर कर छुपाते हैं..
मानने को तैयार ही नहीं होते कि जवानी जा रही है ..
झल्ला उठते हैं हम.. नहीं नहीं ..
हम बूढ़े नहीं हो सकते …..
परंतु हम भी बूढ़े हो जाते हैं एक दिन ..
जैसे बूढ़े हुए हैं हम से पहले और सब ।
____________________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल 99976 15451