न मां पर लिखने की क्षमता है
न मां पर लिखने की क्षमता है
न बाप पर लिखने की औकात…
माता पिता की भावनाओं का प्रवाह इतना प्रबल होता है कि उन्हें लिखना असंभव सा है…
मुझे भय रहता है कि उन्हें लिखने के प्रयास में ह्रदय फट न जाए …
अपने लिए तो रोज मदर्स डे है
और रोज फादर्स डे…
माता पिता दोनों ही करुणा, प्रेम,तपस्या और त्याग के महासागर है…
और इनके वर्णन के लिए मात्र एक तारीख,
एक दिन, एक कविता पर्याप्त नहीं…
इनके वर्णन के लिए
मिलने चाहिए कई जन्म…
और लिखे जाने चाहिए कई महाकाव्य…
Happy mother’s day 🙏🙏