न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है ,
दिल बेहद अकेले रोता है ,
हसकर सब छुप जाता है ,
दर्पण में आते ही सब दिख जाता है,
रात्रि को जब हम एकांत होते है ,
कुछ प्रश्न स्वयं से होते है ,
उनसे रोकर हम सो जाते है ,
सोकर भी हम सो न पाते है ,
फिर उसके सपनो में खोकर ,
स्वयं से चूक जाते है ,
दिल न चाहते भी अपनों से मुस्कराता है ,
जीवन उसके बिन अधूरा आधा है ,
जैसे चाँद सूर्य बिन अधूरा होता है ,
न पाने का गम अक्सर होता है,
कुछ बाते डरी सी लगती है ,
उनसे दिल की भूमि बंजर सी लगती है ,
ख्वाबो की दुनिया अधूरी सी लगती है ,
जैसे हरियाली वर्षा बिन अधूरी होती है ,
न जाने आँखे झूठी आश में क्यों रहती है ,
न पाने का गम अक्सर होता है ,
हसकर सब छुप जाता है ,
दर्पण में आते ही सब दिख जाता है ||