न जागी हूँ न सोई हूँ….
एक मुक्तक….
1222 1222 1222 1222
न जागी हूँ न सोई हूँ, पड़ी हूँ बस उनींदी- सी।
तुम्हें ही सोचती हरपल, लिए आँखें पनीली- सी।
तुम्हारी याद भी क्या है, नहीं सुनती जरा भी तो,
हमारी राह रोके ये, खड़ी कबसे हठीली- सी।
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद