न चाहिए
न धन चाहिए, न आभूषण चाहिए
हमें प्रेम आदर्शों का समन्वय चाहिए,
संस्कृति सभ्यता का विस्तार चाहिए।
न हिंसा चाहिए, न बलात्कार चाहिए
हमें अहिंसा परमोधर्म: का सिद्धांत चाहिए,
मनु स्मृति का गूढ़ चिंतन चाहिए।
न धन चाहिए, न आभूषण चाहिए
हमें प्रेम आदर्शों का समन्वय चाहिए,
संस्कृति सभ्यता का विस्तार चाहिए।
न जनसंख्या चाहिए, न अशिक्षा चाहिए
हमें यशोदा मात सा ममत्व चाहिए,
शिक्षा पर सभी का अधिकार चाहिए।
न धन चाहिए, न आभूषण चाहिए
हमें प्रेम आदर्शों का समन्वय चाहिए,
संस्कृति सभ्यता का विस्तार चाहिए।
न ईर्ष्या चाहिए, न द्वेष चाहिए
हमें कृष्ण – सुदामा सी मित्रता चाहिए,
भरत – लक्ष्मण सा भ्रातृत्व चाहिए।
न धन चाहिए, न आभूषण चाहिए
हमें प्रेम आदर्शों का समन्वय चाहिए,
संस्कृति सभ्यता का विस्तार चाहिए।।