नफ़रत
एक नफ़रत सी हो गयी ए जिंदगी इस शहर से!
ख़ुद गर्ज सी हो जिंदगी खुद में ही समा गयी खुद से!
बहूत कुछ खोया इस जमी से,कुछ पाया भी होंगा!
मग़र पाकर भी कही दरारें बन गयी यही से!!
–सीरवी प्रकाश पंवार
एक नफ़रत सी हो गयी ए जिंदगी इस शहर से!
ख़ुद गर्ज सी हो जिंदगी खुद में ही समा गयी खुद से!
बहूत कुछ खोया इस जमी से,कुछ पाया भी होंगा!
मग़र पाकर भी कही दरारें बन गयी यही से!!
–सीरवी प्रकाश पंवार