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8 Jun 2022 · 1 min read

नज़्म

मेरे चलने से वो चलती है,
ठहर जाती है रुकने पर,
सांसें नहीं वो आये जाये.
परछाई है अपनी माँ की,
भविष्य निधि एक दूजे नू
.
तेरी हर बात नासाज निकली
न काला धन,न भ्रष्टाचार रुका,
तेरे अपने चाहने वाले वाह वाही,
करते रहे, और तू होश खो बैठा.

हंस महेन्द्र सिंह

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 1 Comment · 193 Views
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