न्याय करे मनमर्जी ना हो
न्यायाधीश बेदर्दी ना हो,
न्याय करे मनमर्जी ना हो।
गर कोई बेबस दे अर्जी,
न्यायधीश को हो हमदर्दी।
चिढ़कर ना वो कॉस्ट लगाए,
फरियादी को ना धमकाए।
हुकुम चलाए ना अपनी हीं,
बात मनाए ना अपनी हीं।
कोई शाह सा बंद तमाशा,
हो जनता को ना निराशा।
कोर्ट हो ,दहशतगर्दी ना हो,
न्यायाधीश बेदर्दी ना हो,
न्याय करे मनमर्जी ना हो।
वकीलों पर धमकी भाषा,
नहीं कोर्ट की ये परिभाषा।
पक्ष सुने विपक्ष सुने भी,
वादी की प्रतिपक्ष सुने भी।
बोले कम और समझे ज्यादा,
हुकुम नहीं इंसाफ का वादा ।
संविधान हीं कोर्ट फले हाँ,
खुद का दंडविधान चले ना।
न्याय हो अंधेर गर्दी ना हो,
न्यायाधीश बेदर्दी ना हो,
न्याय करे मनमर्जी ना हो।
अंधी आँख पर चर्बी ना हो,
न्यायाधीश बेदर्दी ना हो।
अजय अमिताभ सुमन