नोटा !!
नोटा तो साजिश बनी, लेकर सकल विकार।
खुद के मत नाही कटे, जनता करे पुकार।।
जनता करे पुकार, यह ‘चक्रव्यूह’ ऐसा।
खेल करे मति मार, कपट में ‘कौरव’ जैसा।।
मतदाता पछताय, फँसता ‘अभिमन्यु’ खोटा।
“चिद्रूप” हँसी उड़ाए, दिखता ‘जयद्रथ’ नोटा।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २०/११/२०१८)