नैसर्गिक आपत्ती और हम
नैसर्गिक आपदाएं वास्तव में हमारे नियंत्रण में नहीं है।लेकिन अगर हम अपने कार्यों को अनुशासित करते हैं और इस बात पर अधिक ध्यान देते हैं की वह हमारे पर्यावरण को कैसे प्रभावित करते हैं तो कई आपदाएं नहीं होती। नैसर्गिक आपदाएं कई प्रकार की होती है जैसे भूकंप,सुनामी,बाढ़,आग,ज्वालामुखी,चक्रवाती तूफान आदि। सन 2020 में हम एक नई प्राकृतिक आपदा से लढ रहे हैं जिसका नाम है “कोरोना महामारी”। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक आज तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बन पाया है। इस नैसर्गिक आपत्ती से बचने का एक ही रामबाण इलाज है सोशल डिस्टेंसिंग।
आज हम अपने पूर्वजों के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से बेहतर है। विज्ञान में प्रगति ने वास्तव में कई आपदाओं की भविष्यवाणी करने में मदद की है और उनमें से कुछ को नियंत्रित करने के तरीकों को खोला है।यह विडंबना पूर्ण है कि जब हम उन पेड़ों के लिए इस तरह के आपदाओं से डरते हैं, तो हम उन्हें उत्पन्न करने में एक भूमिका निभाते हैं।
इस कठिन परिस्थिति में मैं खुद के तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य को अच्छा रखने का प्रयास कर रही हू जो योग्य आहार, योग्य व्यायाम से होगा।ऐसा आहार जो हमारी प्रतिकार शक्ति बढ़ाने में मदद करें और ऐसे फल जिनसे हमें ताकत मिले हैं “घर से बाहर न निकलना” यह भी एक खुद का स्वास्थ्य और अपने देशवासियों का स्वास्थ्य अच्छा रखने का एक मात्र सरल उपाय है।
“उपचार तो कई बार बचाएगा करके एक घंटा योग।
महामारी से बचनेका का है घर पर रहने का प्रयोग”।।
ऐसे समय में हमारे बच्चों की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का संतुलन बनाए रखना, हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है। बच्चों के पढ़ाई के अलावा नए पुस्तक पढ़ने में प्रोत्साहित करना, बैठे खेल जिससे उनका मन लगा रहे इस तरह के प्रयास करने चाहिए। माहेश्वरी संगठन ने इस दौरान अनेक ऑनलाइन प्रतियोगिता लिए है जैसे हनुमान चालीसा पठन,सूर्य नमस्कार, निबंध प्रतियोगिता। इन सब में बच्चों को सम्मिलित करना चाहिए ताकी वह ऐसी स्थिति में भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अच्छे से बनाए रखेंगे। बच्चों के साथ हमारे परिवार का सबसे अहम हिस्सा होता है हमारे बुजुर्ग ,जैसे दादा-दादी ,नाना-नानी । जिनके लिए हमें बहुत ही समझदारी से ऐसे हालातों के बारे में चर्चा करनी चाहिए ताकि वे न घबराए शारीरिक संतुलन बना रहे।
भारत सरकार ने जो टीवी पर रामायण, महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथों का प्रसारण शुरु किया है। हम सब मिलकर देखने से हमारा मन लगा रहेगा और परिवार भी इकट्ठा रहेगा। बुजुर्गों को प्राणायाम तथा योगा करे। उनके मनोरंजन हेतु उनके साथ बैठकर अंताक्षरी या फिर कुछ किताबे पढ़कर सुनाना जिससे उनका मन घर में ही लगा रहे।
ऐसे कुछ कार्यो से हम अपने बच्चों का तथा बुजुर्गों का बहुत अच्छी तरह से ध्यान रख सकते है।
“जो हमारी ताकत है आज हमें उनकी आशा बनना है।
मुश्किल हालातों में हमें बुजुर्गों और अपने बच्चों का मनोबल बढ़ाना है”।।
कोविड-19 इस महामारी के वजह से हम सब आर्थिक परिस्थितियों से गुजर रहे हैं।ऐसे समय में अपने पति तथा अपने परिवार के आर्थिक संघर्ष के लिए हमें सदा खड़ा रहना चाहिए आर्थिक नियोजन के हेतु घर में होने वाले कोई कार्यक्रम हमें छोटे स्तर पर नियोजित करना चाहिए। होटल, मूवी, ट्रीप जैसे कार्य में खर्चा अतिरिक्त ना हो इसकी कोशिश करनी चाहिए।
“आर्थिक संकट ले आयी है यह महामारी।
पर हम जुटाएंगे हिंमत हमारी।
हम सब मिलकर रोकेंगे यह बीमारी ।
सूझबूझ से अनावश्यक खर्चे नियंत्रित करना है हमारी जिम्मेदारी।।”
मेरा देश मेरे लिए मेरा परिवार है। देश के प्रति मेरा भी कर्तव्य है कि इस महामारी के दौरान मैं मेरे गली-मोहल्ले में रहने वाले गरीब लोगों को भुका ना रहे। नौकर वर्ग अगर नहीं आ पाए तो भी उनकी तनखा देना मेरा धर्म है। उनको एडवांस तनखा भी देकर उनको आर्थिक संकट के दौरान मदद कर सकते हैं।
लॉकडाउन के वजह से समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव देखे जा रहे हैं। जैसे खर्चों पर लगाम हो गया है, बाहर खाना, शॉपिंग और गैर जरूरी चीजों पर खर्च कम हो गया है। घर में रहने के दौरान हम अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताना सीख गए हैं। ऑफिस के कामो मे भी बदलाव, वर्क फ्रॉम होम के वजह से ऑफिस जाने आने का समय तथा ट्रांसपोर्टेशन खर्चा बच रहा है ।क्रिएटिव कुकिंग हर जगह की जा रही है, इससे आपको अपनों के साथ टेस्टी और हेल्दी खाना बना कर खाने का अनुभव भी मिल रहा है। लॉक डाउन के बाद भी अगर आप ऐसे ही कोशिशे करेंगे तो आप बाहर के फास्ट फूड और जंक फूड खाना भूल जाओगे। आपके आर्थिक व शारीरिक परिस्थिति में भी सुधार जरूर देख पाओगे।
लॉकडाउन का सबसे अच्छा असर हमारे प्रकृति पर दिख रहा है, हवा प्रदूषण मुक्त हो गई है। आसमान नीला है, सड़कों पर गंदगी नहीं है, यही दुनिया जो पहले भाग रही थी वह आपको ज्यादा स्थित और खूबसूरत दिख रही है। चिड़ियों की गूंजने की आवाज फिर से कानों में बिक रही है।लॉकडॉउन के वजह से परिवार एक जगह आ गया है जिससे रिश्तो में एक नई जान आ गई है।
“मिलकर कोरोना भगाना है।हमें बार-बार हाथों को स्वच्छ रखना है।
सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना है।
घर से बाहर ना निकलना है ।
देश हित के लिए हमें यह कदम उठाना है।
देश की लड़ाई में हमें भी सिपाही बनना है “।।