नैया पार हो गई
औलाद बड़ी होके,,,,,,समझदार हो गई।
समझो कि नैया जिंदगी की पार हो गई।।
औलाद के सुख से बड़ा सुख है भला कहाँ?
औलाद की मुस्कान सा गुल है खिला कहाँ?
किलकारियों से प्यारी राग, ,,,कौन गीत है?
औलाद से हो सच्चा ऐसा,,,,,कौन मीत है?
औलाद सर का ताज भी, दिल का नवाब है।
नादान हसरतें भी ,,,,,,,,,उसकी लाजवाब है।
दिल बाग-बाग ,,,,,,जिंदगी गुलज़ार हो गई।।
समझो कि नैया,, जिंदगी की पार हो गई।।1।।
सुख शांति की तलाश में न घूमों दर-ब-दर,
औलाद को सँवार लो सुख पाओ उम्र भर।
द्वेष, क्लेश, बैर, क्रोध,,,,,, मन से त्याग दो।
औलाद के जीवन में ,,,,,सत्य प्रेम राग दो।
हर धर्म, संस्कार, ,,,,,,,,,,नेक-कर्म-राह हो।
औलाद के हृदय में, ,,आपकी ही चाह हो।
तब पाप धुल के जिंदगी ,,,उद्धार हो गई।।
समझो कि नैया ,,जिंदगी की पार हो गई।।2।।
जो वक्त न दे पाए ,,,,, सुनो वक्त के रहते।
औलाद का सुख पाने को हर वक्त तरसते।
दौलत की चाह में जो ,,,चढ़े भेंट है अपने।
हर जीत उन्हीं से है सजे प्यार के सपने।
जब अंत समय आया तो परिवार को रटते।
औलाद की ही गोद में श्रीराम को जपते।
संतोष मिला ,,,,,, जिंदगी साकार हो गई।।
समझो कि नैया ,,जिंदगी की पार हो गई।।3।।
संतोष बरमैया #जय