*नैनों से है नैन लड़ने लगे*
नैनों से है नैन लड़ने लगे
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नैनों से हैँ नैन लड़ने लगे,
इशारों में बातें करने लगे,
इश्क में उम्र का जिक्र नहीं,
दुनियादारी का फ़िक्र नहीं,
प्रेम के रंग में हैँ रंगने लगे।
बाली उम्र है नादानी भरी,
रग-रग में खूब रवानी भरी,
दीवानगी में यूँ दीवाने लगे।
नैनों से हैँ नैन लड़ने लगे।
फूलों की भी तान छिड़ी,
भंवरों की भी जान अड़ी,
मस्ती मे मस्त मस्ताने लगे,
नैनों से है नैन लड़ने लगे।
नींद आँखों मे आती नहीं,
याद दिल से है जाती नहीं,
रातों में भी है जगने लगे।
नैनो से है नैन लड़ने लगे।
तन्हाँ-तन्हाँ दिल तन्हाई में,
फ़स गया है गहरी खाई में,
प्यार के साज बजने लगे।
नैनों से हैँ नैन लड़ने लगे।
प्रेम की है कोई जात नहीं,
जड़े लंबी हैँ पर पात नहीं,
पत्ते पतझड मे झड़ने लगे।
नैनों से है नैन लड़ने लगे।
मनसीरत अंग-अंग खिला,
प्रेम रंग जब से संग मिला,
आँसू आंखों से बहने लगे।
नैनों से है नैन लड़ने लगे।
नैनों से हैँ नैन लड़ने लगे।
इशारों मे है बातें करने लगे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)