“नेह”
🌹”नेह”🌹
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नेह की धुरी पे ही सारा संसार टिका है ,
जीवन जीने का हर इक सार टिका है ,
क्यूॅं ना नेह के फूल हम यूॅं बरसाते चलें ,
जब इससे हर रिश्ता, परिवार भिंगा है।
“स्वरचित एवं मौलिक”।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
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