*नेह से जीवन चलता ( कुंडलिया)*
नेह से जीवन चलता ( कुंडलिया)
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धरती ऊसर हो गई ,मिली न जिसको खाद
मिलते- जुलते जो नहीं ,पाते जन अवसाद
पाते जन अवसाद ,नेह से जीवन चलता
मिले मधुर मुस्कान ,इसी में छिपी सफलता
कहते रवि कविराय ,वाह की आशा करती
मधुर पुष्प से व्याप्त ,सुगंधित मधुमय धरती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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ऊसर = बंजर ,जो जमीन उपजाऊ न हो