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31 Mar 2022 · 2 min read

नेता- वोटर संवाद( हास्य गीत)

नेता- वोटर संवाद( हास्य गीत)
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
सुना ,आप की जेबों में भी सत्तर लाख पड़े हैं
इसीलिए तो इस चुनाव में साहब आप खड़े
हैं
बड़े लोग हैं आप ! जिस तरह सुरती थूकी-
खाई
सत्तर लाख रुपल्ली की क्या तनिक हैसियत
पाई
वैसे हमें पता है यह जो हाथी, दाँत दिखाते
बजट आपका सौ करोड़ है असली जिनसे
खाते
जितने दल हैं सभी दीखते हैं हमाम में नंगे
भीतर से रोगी हैं, बाहर से दिखते हैं चंगे
हम ठहरे मामूली वोटर, एक वोट के स्वामी
हमें आपमें किसी एक का बनना बस
अनुगामी
खैर, सुना है जेबों में भर रुपै आप लाए हैं
कुछ बोतल शराब भी सुनते हैं लेकर आए हैं
आप देश के मालिक- जन हैं, हम गरीब
मतदाता
सिवा वोट देने के अपना क्या चुनाव से नाता
आप खड़े हों, हम जितवाएं- यही रीति
चलती है
आप खरीदें हम बिक जाएं, दाल यही गलती
है
आप बताएं, हम मतदाता- बोली आप लगाएं
सोच रहे, अपनी नीलामी करें और बिक
जाएं
सबसे ज्यादा दाम रखे जो उसको वोट
हमारा
कहो इरादा क्या है भैया बोलो खुलकर सारा

बड़े-बड़े हैं घाघ चुनावों में जो आज लड़े हैं
सुना ,आप की जेबों में भी सत्तर लाख पड़े हैं
————-*———-*————–*———-
नेता जी ने सुना और फिर कुछ रुककर यह
बोले
घाट- घाट का पिए हुए थे पानी ,पत्ते खोले
कहा “नहीं इस बार देश को लूटे बिन मानोगे
वरना हमसे महा- दुश्मनी लगता है ठानोगे
चलो देश लूटवाया पूरा, सब कंगाल बनाया
चलो मुफ्त में हीरों का नौलखा हार पहनाया
हमें बिठा दो बस गद्दी पर राजतिलक करवाओ
तुम भी लूटो, हम भी लूटें – जेबें भर भर
लाओ

सत्ता की कुर्सी पर अपने पैने दाँत गड़े हैं
सुना ,आप की जेबों में भी सत्तर लाख पड़े हैं
—————–*————*——————-*
अब हम चीखे ” टूच्चे से भी अबे! टुच्चतम
लगता है तू नेता
सत्ता क्या, विपक्ष के काबिल नहीं दिखाई
देता
हम वोटर हैं असली मालिक भारत भाग्य
विधाता
कुर्सी के लोभी तुझ जैसों को हड़काना आता
नहीं बिकेंगे हम शराब की बोतल से, नोटों से
नहीं करेंगे छल हम अपनी आत्मा से, वोटों
से
बदलेंगे यह चलन चुनावों में सत्तर लाखों का
काला पानी और मोतियाबिंद कहो आँखों
का
सीधे-साधे सरल आमजन सत्ता में लाएँगे
जैसे हम वोटर फिर वैसे ही चुनकर जाएँगे

लोकतंत्र इस समय कुटिल-जन कोठी में जकड़े हैं
सुना ,आप की जेबों में भी सत्तर लाख पड़े हैं
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99976 15451

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