नेता।कुण्डलिया
नेता
नेता हमको चाहिए,,,,,,,कर्मठ सुधी समूल ।
जनता की दुविधा सुने, न्याय करे अनुकूल।
न्याय करे अनुकूल,,,,,भूल से करे न चोरी ।
रंग गिरगिटी छोड़,,,,,रहे जनता की ओरी ।
राम करो शुभ कर्म, बनो तुम विश्व विजेता ।
तभी मिलेगा ओट ,,,,,,,बनोगे सच्चे नेता ।
तंग हुआ है नेवला,, गिरगिट बना शरीफ़ ।
रंग बदलता धूप में,,,, ,,देता है तकलीफ़ ।
देता है तकलीफ़ , ,बना है शभ्य समाजी ।
दल बदलू इंसान,,, कहे अब हाजी हांजी ।
राम करो पहचान,, , तब होगी कोई जंग ।
वरना कर प्रहार ,,,,,कर देंगे सबको तंग ।।
राम केश मिश्र