नेताओं की नीयत
हमारे देश के लोग जब राजनीति मे कदम रखते है तो ये कहते हुए रखते है कि अब और भ्रष्टाचार नही सहेंगे, हम देश की राजनीति को बदलकर रख देगे, न खायेंगे न खाने देगे, धर्म जाति का भेदभाव मिटा देगे, सिर्फ विकास की बात होगी,
सिर्फ देश हित की बात होगी लेकिन जब सत्ता का सुख भोगने मिलता है तो देशवासियों के दुख दर्द को भूल जाते हैं । फिर जो भी बात होती है सिर्फ अपने मतलब की बात होती है । ये समझ नही आता कि वो मोह माया मे फंस कर देश का हित भूल जाते है या राजनीति के पेंच मे उलझ कर हार जाते हैं तथा अपना दायित्व और कर्तव्य भूल जाते है या फिर सत्ता सुख पाने के लिए जनहित कार्यकर्ता होने का स्वांग रचते है।