नेकी कर इंटरनेट पर डाल
“ नेकी कर इंटरनेट पर डाल “
आजकल सोशल मीडिया पर उफान चल रहा हैं ! यूं कहें तो दुनिया वायरल के दरिया में डूबी हुई हैं ! सभी सामानों का सेंसेक्स शून्य पर हैं ! ऐसे में एक चीज़ का चलन सातवें आसमान पर हैं वो हैं – चैरिटी की चाहत ! सब अपनी करनी पार उतरने को उतावले हैं । हरेक के मन में चैरिटी का भाव हिलोरें ले रहा है, ले भी क्यों ना ? चैरिटी मनुष्य चरित्र का एंटिक गुण जो ठहरा ? सच में सदियों का साथ रहा हैं उदारता और मानव का ! लेकीन कालांतर में चावार्क अवतरित हुए तो मानव मन में उदारी के साथ उधारी का भी चोली दामन का रिश्ता जुड़ गया ! धीरे धीरे उदारीकरण का दौर आया और उधारी फेविकोल का जोड़ बनकर उभरा-जो ना टूटेगा ना छूटेगा ! जब तक मानव हैं उधारी का भाव चराचर में चलेगा और दोड़ेगा !
उदारता के कारण गरीबों के गिरेहबान में झांकने वाले लोगो की लाइन खड़ी हुई हैं ! एक को बुलावो पांच हाजिर होते हैं ! कुछ कर गुजरने की कशमकश ने निठल्लो के पैरों में भी घुंघरू बांध दिये हैं ! महामारी और हारी बीमारी की घनघोर घटाओं में भले लोगों की सद्भावना बिजली की तरह चमक रही हैं ! चमचमाती नई पोशाक पहने समाजसेवियों की फ़ौज कुकरमुत्तो की भांति उग आई हैं ! ये गरीबों में नाज नोन तेल दोड़-दोड़ कर बाँट रहे हैं ! कोई पशुओ को चारा खिला रहा हैं ! जीवो और जीने दो का भाव चारों ओर चरितार्थ हो रहा हैं ! सब कुछ सामाजिक समरसता का सुखद अहसास हैं !
हमारे मोहल्ला में उधार लेकर घी पीने वाले कालू भाई को भी चैरिटी का चस्का चढ़ आया है ! सुबह-सुबह बाजार चल दिये ! कालू भाई ने ज्योंही भारी भरकम लिस्ट आगे बढ़ाई ! फलवाले ने लिस्ट लेकर देखी और कालू भाई के साथ आये दस लोगो को एकटक निहारा ! फलवाले के होश फाख्ता हो गये ! एक साथ पूरे अढाई किलो केलों का ऑर्डर ! बेचारा भावनाओ के भंवर में गोते खाने लगा ! वहाँ से केले लेकर निकली टोली ने दिन भर में सारे केले बांट दिये ! सबके मन में एक भाव- वाकई नेकी कर कुए में डाल । उदारता वाले पुरुषो में शुमार कालू भाई नमनीय हैं !
इतने में जेब में पड़ा मोबाइल गुर्राया ! मैंने ज्योंही व्हाट्सएप्प,फेसबुक ,इन्स्टाग्राम की देहरी पर दस्तक दी ! आँखे चुंधिया गई ! सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर चैरिटी की हजारों,लाखों फोटो ,वीडियो वायरल हो रहे हैं ! इनमे कालू भाई और उनके साथियों की फोटो भी ट्रैंड कर रही हैं ! कालू भाई नेकी कर कुए में डाल के मोडिफाई रूप नेकी कर नेट पर डाल को मानते हैं ! वे सात समाजसेवी साथियों संग एक गरीब को केला देकर पुण्य कमा रहे हैं ! केप्शन में एक पंक्ति टंगी हैं – चिड़ी चोँच भर ले गई नदी न घटियों नीर ! दिये धन ना घटे कह गये दास कबीर !!
© हरीश सुवासिया
आर.ई.एस.
देवली कलां (पाली)
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