*नुक्कड़ की चाय*
तू नहीं है तो क्या
तेरी यादें तो है मेरे साथ
जब भी चाय पीने
जाता हूं मैं उस नुक्कड़ पर
हमेशा पहली घूंठ
तेरी फ़ोटो को पिलाता हूं
तेरे होंठों से लगकर
आज भी मीठी हो जाती है चाय
साथ ही नज़र आती है तू
जब चाय की चुस्कियां लेता हूं
फिर अचानक चली जाती है
और मैं तुम्हें ढूंढ़ता रह जाता हूं
सोचता हूं हरपल तुम्हारे बारे में
क्या मैं भी कभी तुम्हें याद आता हूं
काश फिर उसी नुक़्कड़ पर
मेरे साथ चाय पीने आ जाते तुम
घंटों बातें करते मुझसे
मेरे साथ फिर घर साथ आते तुम
हमेशा साथ रहते मेरे
पलक झपकते न हो जाते गुम।