Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2024 · 1 min read

– नींद न आए –

पहले कविता सुनते थे तो नींद आ जाया करती थी जिसे क्लास में,
साहित्य का रोग क्या लगा तुझे भरत,
अब गहलोत कविता न सुने तो रात को नींद न आए,

Language: Hindi
Tag: शेर
83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
The_dk_poetry
सिलवटें
सिलवटें
Vivek Pandey
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बस! नामी रिश्ता दोस्ती का
बस! नामी रिश्ता दोस्ती का
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
4942.*पूर्णिका*
4942.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम कहो तो कुछ लिखूं!
तुम कहो तो कुछ लिखूं!
विकास सैनी The Poet
बाबा केदारनाथ जी
बाबा केदारनाथ जी
Bodhisatva kastooriya
बेवफ़ा इश्क़
बेवफ़ा इश्क़
Madhuyanka Raj
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मटिये में जिनिगी
मटिये में जिनिगी
आकाश महेशपुरी
" विवेक "
Dr. Kishan tandon kranti
जीना सीख लिया
जीना सीख लिया
Anju ( Ojhal )
अन्नदाता
अन्नदाता
Akash Yadav
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
परत
परत
शेखर सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना
जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना
gurudeenverma198
ममता
ममता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
समाज सुधारक
समाज सुधारक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गाँधी के उपदेश को, कब समझेंगे लोग ।
गाँधी के उपदेश को, कब समझेंगे लोग ।
sushil sarna
शरीर मोच खाती है कभी आपकी सोच नहीं यदि सोच भी मोच खा गई तो आ
शरीर मोच खाती है कभी आपकी सोच नहीं यदि सोच भी मोच खा गई तो आ
Rj Anand Prajapati
. क्यूँ लोगों से सुनने की चाह में अपना वक़्त गवाएं बैठे हो !!
. क्यूँ लोगों से सुनने की चाह में अपना वक़्त गवाएं बैठे हो !!
Ravi Betulwala
मे गांव का लड़का हु इसलिए
मे गांव का लड़का हु इसलिए
Ranjeet kumar patre
उसको देखें
उसको देखें
Dr fauzia Naseem shad
मेरा गांव
मेरा गांव
अनिल "आदर्श"
आगे का सफर
आगे का सफर
Shashi Mahajan
*अध्याय 12*
*अध्याय 12*
Ravi Prakash
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।
जगदीश शर्मा सहज
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा
अशोक कुमार ढोरिया
Loading...