नींद चुराई आपने,
दोहा मुक्तक
नींद चुराई आपने ,नैन चुराये चैन।
चंचल चितवन आपकी ,अंतर है बेचैन।
अंतर्मन में पीर है, ,पीर न समझे कोय।
मन का आपा खो रहे, श्याम सलोने सैन।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
दोहा मुक्तक
नींद चुराई आपने ,नैन चुराये चैन।
चंचल चितवन आपकी ,अंतर है बेचैन।
अंतर्मन में पीर है, ,पीर न समझे कोय।
मन का आपा खो रहे, श्याम सलोने सैन।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम