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23 Jul 2024 · 1 min read

निश्चित जो संसार में,

निश्चित जो संसार में,
उस पर कैसा क्षोभ ।
इस जीवन की श्वांस का,
सदा व्यर्थ है लोभ ।।

सुशील सरना / 23-7-24

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