निर्धन का उत्थान
फिर स्वाधीनता-दिवस आ गया,
फिर आज़ादी का जश्न मनाएंगे।
जहां में सबसे प्यारा तिरंगा लहराएंगे-
क्या निर्धन का भी उत्थान कराएंगे..?
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल===
====*उज्जैन {मध्यप्रदेश}*=====
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