निर्णय
लघुकथा
शीर्षक – निर्णय
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सजा हुआ पंडाल , सामूहिक विवाह का कार्यक्रम, और सौ जोड़े दुल्हा दुल्हन आकर्षक परिधानों में… लग रहा था मानो कुदरत की सारी सुंदरता एकत्र हो गयी हो पंडाल में … लेकिन गुप्ता जी अभी असंतुष्ट थे कि वो एक सौ एक जोड़े तैयार नहीं कर सके,,, सिर्फ एक जोड़े की कमी ही तो थी,, दुल्हन तो तैयार थी लेकिन कोई उससे शादी करने को कोई तैयार नहीं था l
-” अरे, तुम वही नेहा हो न, जिस पर एसिड का हमला हुआ था पिछले साल ” – गुप्ता जी ने उस दुल्हन से कहा l
– ” जी, मै वही नेहा हूं और वो दिन मेरे लिए काला दिन था… मेरी हिम्मत ही मेरे लिए अभिशाप बन गई,,, मैंने उन लोगों का कहा नहीं माना तो उन्होंने एसिड से हमला कर मेरा यह हाल कर दिया और आज मुझे कोई दुल्हन बनाने को भी तैयार नहीं ” – नेहा ने जला हुआ चेहरा दिखाते हुए कहा l
-“मेरी बहादुर बेटी, जीवन में ऎसे उतार चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन हार नहीं मानते… मेरी नजर में ये एक लड़का है क्या तुम उसकी दुल्हन बनोगी? “- गुप्ता जी ने अपने बेटे की तस्वीर दिखाते हुए कहा l
– ” अरे ये तो रोहन है ”
-” हां ये वही रोहन है जिसे तुम प्यार करती थी और रोहन भी तुम्हें बहुत चाहता था, लेकिन समय की मार ने तुम दौनो को अलग कर दिया ”
-” क्या रोहन मुझे, इस हाल में भी अपनायेगा?,,, क्या वो मुझे अब भी प्यार करता है?” – नेहा ने ऐसे अनेक प्रश्नों की झड़ी लगा दी
– ” क्यों नहीं, तुम्हारे लिए वही प्यार मैंने उसकी आँखो में साफ देखा है,,, वो देखो रोहन भी आ गया , उसी से पूँछ लेते हैं,,,, ” – गुप्ता जी ने रोहन की तरफ इशारा करते हुए कहा l
रोहन मुस्कुराता हुआ नेहा की तरफ बढ़ता चला आ रहा था, पास आते ही उसने नेहा का माथा चूम लिया… गुप्ता जी अपने विश्वास व निर्णय पर मुस्कुरा रहे थे… और नेहा की आंखों से बह रहे आँसू, उसके चेहरे की जलन को शांत कर रहे थे l
राघव दुबे
इटावा (उप्र)
84394 01034