“निर्झर”
🌷निर्झर🌷
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पर्वत, पठार हो, झील हो या निर्झर।
ये सारे ही प्राकृतिक दृश्य हैं मनोहर।
निर्झर गिरता झर-झर कर पर्वतों से,
अवनि की शोभा बढ़ाता जो निरंतर।
( स्वरचित एवं मौलिक )
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक :- 12 / 04 / 2022.
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