निर्गुण
छोड़ इहां के
आश रे मनवा
छोड़ इहां के आश..
(१)
इहां कबो ना
पूरा होई
प्यार के तोर
तलाश रे मनवा
प्यार के तोर तलाश…
(२)
मृग-तृष्णा में
जेतने भगबे
ओतने बढ़ी
प्यास रे मनवा
ओतने बढ़ी प्यास…
(३)
तोरा भगिया में
लिखल बा
अब इहे
वनवास रे मनवा
बस इहे वनवास…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)
#Nirgun