निरखि सखी श्याम छवि….
निरखि सखी श्याम छवि
अद्भुत लावण्यमयी
हर्षित भयी चकित भयी
क्षण में मैं मूर्छित भयी
कौन है ये मेघवर्ण मयी
दृष्टि निर्निमेष भयी
दृग पात्र पान करे
रसमाधुरि आनंदमयी
लूटी गयी ठगी गयी
मैं तो कंगाल भयी
सम्मुख से लुप्त हुई
सखी चितचोर छवि
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी”