निमंत्रण ठुकराने का रहस्य
आज रात मैं बिस्तर की शरण में गया ही था
कि श्री श्री एक हजार आठ यमराज महराज
मेरी नींद के दुश्मन बनकर
बड़े अधिकार से आकर मेरी रजाई में घुस गये,
ईमानदारी से कहता हूँ मन किया कि
अभी इसका कत्ल कर दूं,
पर जैसा कि आप सबको पता ही है,
हर ओर राम, राम मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा का शोर है
सुरक्षा कर्मियों का खाना खराब हो रहा है
शान्ति बनाए रखने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है,
ऐसे में मैं उन्हें इस ठंढी में तंग करने की
सोच भी नहीं सकता।
क्योंकि मैं बहुत सज्जन प्राणी हूं
जैसा कि आप सब ही कहते हैं
अब तक यमराज की नाक से
नींद हराम करने वाला शोर उठने लगा।
मैंने उठकर अपने कान में ठूंस लिया
और एक दूसरा कंबल लेकर सोफे पर सोने चला गया।
कंबल को अच्छे से लपेट कर गठरी पर बन गया।
नींद न आनी थी और न आई
ऊपर यमराजरुपी मुसीबत फिर से
मेरे कंबल में आकर घुस गई।
मुझे गुस्सा आता उससे पहले बड़ी शराफत से
यमराज ने मुझे आश्वस्त कर कहने लगा
प्रभु! एक राज की बात बताना जरूरी था
आपकी सौगंध बस इसीलिए आया हूँ
आप तो ठहरे भोले भाले पर मैं तो हूँ नहीं
निमंत्रण पत्र ठुकराने वालों का राज खोदकर लाया हूँ ।
निमंत्रण पत्र ठुकराने की तह में घुसकर
असली कारण ढूंढ लाया हूँ।
मैंने बेमन से कहा- तू बोलता रह , मैं सुन रहा हूँ
और फिर चुपचाप निकल ले
या मुझे भी अपने पीठ पर बैठाकर अपने साथ ले चल
अब मैं भी बहुत तंग आ गया हूं,
तुझे आने जाने का कष्ट न हो
इसलिए तेरे साथ ही रहूंगा।
यमराज ने बड़ी मासूमियत से कहा
नाराज़ न हो प्रभु! आज की ब्रेकिंग न्यूज लाया हूँ
आप भी सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे
निमंत्रण ठुकराने वाले वही लोग हैं
जो किसी न किसी रूप में राम और मंदिर के
अब तक करते रहे हैं,
किसी ने काल्पनिक कहा,
किसी ने झूठे दस्तावेज़ दिखाएं
किसी न रथयात्रा रोकी
किसी ने कारसेवकों पर गोली चलवाई
किसी ने स्वार्थी राजनीति के नाम पर
दो धर्मों के बीच दीवार बनाया
तो किसी ने राम को अपने वोट का मोहरा बनाया
और एक धर्म विशेष के लोगों को गुमराह किया,
गंगा जमुनी तहजीब में तेजाब मिलाया।
तो किसी ने शासन सत्ता की खातिर
राम को एक दम भुलाकर सत्ता का स्वाद चख लिया।
आज वे सब अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं
राम के करीब आने के नाम से ही डर रहे हैं
अपने पापकर्म के साथ राम के दरबार में
अब आने से भी थर थर कांपे रहे हैं,
बस इसीलिए निमंत्रण पत्र ठुकराने का
तरह तरह के बहाने बना रहे हैं,
अनर्गल प्रलाप कर अपने को सच्चा साबित कर रहे हैं
खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोच रहे हैं,
न आने का बहाना आरोप लगाकर कर रहे हैं,
राम जी अभी दूर से ही सब कुछ देख रहे हैं
बाइस जनवरी को जब राम जी आ जायेंगे
तब ये सब जाने कहां छुपेंगे हम लोग?
ये सारे शुतुरमुर्ग इसी मंत्रणा में लगे हैं
राम जी से क्षमा कैसे मिल सकती है
इसी रणनीति में उलझे हुए हैं।
राजनीति तो महज बहाना है
निमंत्रण पत्र ठुकराने के पीछे का
यही असली ताना बाना है।
जिसे हम आप समझें या न समझें
राम जी सब समझ रहे हैं।
पर राम जी तो ठहरे मर्यादा पुरुषोत्तम राम
वो इन सबका पक्का इंतजाम कर रहे हैं,
ये त्रेता युग तो है नहीं कि बानर भालू इकट्ठा करेंगे
या तीर धनुष के साथ युद्ध करेंगे।
यह कलयुग है तो राम जी भी
हाईटेक तकनीक का प्रयोग करेंगे,
और अपने हर दुश्मन को परास्त करेंगे
दुश्मनों के रडार फिसड्डी हो जायेंगे
जब राम जी आधुनिक ब्रहास्त्र चलायेंगे
तब ये सारे राम विरोधी परास्त होकर
कहीं नजर नहीं जायेंगे?
खुद पता भी नहीं जान पायेंगे।
तब वे जान पायेंगे कि निमंत्रण पत्र
आखिर किसने और क्यों भिजवाये थे,
किसी राजनेता, पार्टी या फिर स्वयं प्रभु श्रीराम ने।
जिस निमंत्रण पत्र को ये सब
ठुकराने के खूबसूरत बहाने बना रहे हैं
और जाने क्या क्या किस किस पर
क्या क्या आरोप लगा दुष्प्रचार कर रहे हैं
एक नेता, राजनीतिक दल की आड़ में
राम जी को ही मोहरा बना रहे हैं,
क्योंकि इनकी नजर में राम जी भला
फिर कहाँ, कैसे, और क्यों आयेंगे?
और इन सबको राम जी आखिर क्यों बुलाएंगे,
जब तक पहले ये राम जी को हरी झंडी दिखाकर
अपने सहमत होने की सूचना से अवगत नहीं करायेंगे।
क्योंकि इन सबके तो राम भी अलग अलग हैं
एक अदद अयोध्या में सबके राम
एक साथ भला कैसे आ पाएंगे?
आ भी गए तो उलझकर रह जायेंगे।
एक अदद राम मंदिर में इतने राम कैसे रह पाएंगे?
बस इसीलिए इन सबने निमंत्रण ठुकराये हैं
क्योंकि इनको पक्का पता है
कि इनके राम नहीं आयेंगे।
और जिनके राम आने वाले हैं
वे सब निमंत्रण के बिना भी फूले नहीं समाए हैं।
क्योंकि उन्हें यकीन है कि उनके रामजी आ रहे हैं
और निमंत्रण भी उन्होंने खुद ही भिजवाए हैं
और उन्हें राम जी ने बड़े प्यार से बुलाए हैं।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश