नृत्य
नृत्य क्या है? ,क्यों है? ,कैसा है? और हमारे लिए क्यों जरूरी है ?
मेरे मायने के अनुसार जीवन चालू ही नृत्य से हुआ है । जीवन ही क्या ब्रह्मांड पृथ्वी जल पहाड़ वृक्ष जीव जंतु सभी कहीं ना कहीं नृत्य से ही अस्तित्व में आए हैं ।
कहा जाता है कोई तारा टूटा बरसो गर्म रहा जैसे क्रोध में तांडव कर रहा हो शिव जी की तरह और फिर वर्षों तक उस तारे पर वर्षा होती गई जैसे कोई तप कर रहा हो स्तुति कर रहा हो जैसे रावण ने ध्यान द्वारा नृत्य द्वारा शिव जी का स्तुति गान किया था ।
वर्षा के कारण जल एकत्रित हुआ।
नदियां बनी सागर बने सागर में जीव उत्पन्न हुए अद्भुत जैसे कुछ मन भावुक संगीत बज रहा हो और यह कार्य प्रगति की ओर बढ़ रहा हो ।
उसी तारे पर हरी चादर बिछ गई ,हवा लहराने लगी वृक्ष हवाओं के साथ ताल से ताल मिला के झूमने लगे नृत्य करने लगे और सागर के जीव धीरे-धीरे बड़े हुए जमीन पर आएं अलग-अलग जीवओ का विकास होते-होते वानर बने, वनमानुष बने और फिर मनुष्य बने ।
ओर इससे खूबसूरत तारे का नाम पृथ्वी रखा गया जरा सोचिए यह जो क्रियाकलाप हुआ है कितना रंगीन कितना खूबसूरत कितना आश्चर्यचकित कर देने वाला हुआ है जैसे परमात्मा कोई धुन बजा रहा हो और धीरे-धीरे हर चीज अस्तित्व में आती गई और अपनी कला बाजियां दिखाती गई नृत्य होता रहा ।
सागर की लहरें भी नृत्य करती हैं कैसे उफान मारती है कैसे सतह को नाजुक से स्पर्श करती है और पानी के अंदर भी मछलियां कैसे लहरा के चलती है ।
यह सब नृत्य में भी तो होता है कभी ऊपर कभी नीचे आती जाती हैं नृत्य चलता है ।
और जो जीव भी कभी इधर से उधर कूदते हैं छलांग मारते हैं । पक्षियों कैसे गीत गाते हैं कितनी मधुर आवाज निकालते है जैसे कोयल पपीहा इत्यादि
मोर नृत्य करता है उसी प्रकार दूसरे पक्षी भी नृत्य करते हैं
हमारी संस्कृति को सबसे प्रथम नृत्य करना गाना बजाना ही आया था देखिएगा आज भी कितनी गुफाएं हैं जहां पर वनमनुष द्वारा चित्र अंकित है जिसमें वे नृत्य कर रहे हैं, गा रहे हैं, शिकार कर रहे हैं, हमारी संस्कृति में शुरू से ही, आरंभ से ही कला को महत्व दिया गया है ।
चाहे इंसान को खाना बनाना नहीं आता होता हो उस समय लेकिन उन्हें नृत्य करना आता था गाना गाना आता था चित्रकारीता अंकित करना आता था।
कला थी कला है और कला रहेगी जीवन का आधार ही कला है और हम सभी कलाकार हैं निर्माता तो वहां ऊपर है उसकी बजाई हुई बीन पर हम सभी नृत्य करते हैं ।
शिशु जन्म लेता है ,रोता है जैसे अभ्यास कर रहा हो गाने का । हाथ पैर मारता है नृत्य सीख रहा है और अभी तो सीख ही रहा है और कितना मनमोहक लग रहा है ।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भावना अपनी भावनाओं को व्यक्त करना ही कला है।
जिसके पास भावना है वह कलाकार हैं
वह अपनी भावना से दूसरे को हंसाता भी हैं रुलाता भी है ।
भावना कई प्रकार की होती है, और कलाकार हर एक भावना का महत्व समझता है ।
हर प्रकार से हर प्रकार की भावना प्रकट करने में सक्षम होता है ।
अब आते हैं हम आधुनिक दृष्टिकोण पर :-
हमारे जीवन में कला नृत्य गायन का महत्व क्यों है क्या यह करना जरूरी है ?
करना या न करना तो आपकी रूचि के अनुसार है
लेकिन इसमें जो फायदे होते हैं, जिसकी हर एक इंसान को जरूरत है वह कुछ मदों में मैं आपके सामने रखता हूं ।
प्रथम हर एक व्यक्ति फिट रहना चाहता हैं ,हष्ट पुष्ट रहना चाहता है ।
और नृत्य द्वारा एक अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है, जो कि कठिन परिश्रम करने से बहुत ज्यादा आसान है।
जो मनोरंजन के साथ आपको फायदा भी देती है, ओर कठिन परिश्रम से भी बचाती है।
दूसरा यह आपकी सोचने की क्षमता को व्यापक करती है, आप हर गाने के हर बोल पर कुछ नया करने की कोशिश करते हैं ,के इस बोल पर क्या-क्या स्टेप कर सकते हैं, किस किस प्रकार से कर सकते हैं।
तीसरा आपकी याद करने की क्षमता बढ़ाती हैं
आप पूरे गाने को याद कर लेते हैं ,पूरे नृत्य की स्टेपओं को याद कर लेते हैं ।
चौथा तालमेल गाने के बोल पर शरीर का एक्शन लेना दिमाग का सोचना कानों का सुनना और बॉडी का एक्शन लेना दिमाग से शरीर का तालमेल बनाता है, नृत्य ।
पाचवा अपनी भावना को प्रकट करना हम क्या कहना चाहते हैं, क्या महसूस करते हैं, नृत्य द्वारा किसी को बता सकते हैं ।
अपनी भावना व्यक्त कर सकते हैं अपनी फीलिंग दूसरे को बता सकते है।
तो देखा आप सबने नृत्य कला हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। तो आज ही अपने अंदर के कलाकार को जगाइये।
खुद से प्रश्न करें कि आपको क्या करने में आनंद आता है ।
किसमें आपकी रुचि है । क्या आप एक पेंटर हैं? आपको तस्वीरें बनाना अच्छा लगता है, चित्र करना अच्छा लगता है, या आप गाने में निपुण है आप बहुत अच्छा गाते हैं और अपना ज्यादातर समय गाने को देना पसंद करते हैं ।
क्या आप एक नृत्यकार हैं , जिसे नृत्य करना अच्छा लगता है ।
या कोई भी कला इसमें आपकी रूचि हो अगर आपकी रुचि है और आपको नहीं भी आता है तो आप सीख सकते है, हजारों क्लासेस हे कला की
और कितनी सारी तो आपके फोन में ही है खोलिए यूट्यूब और देखिए क्या-क्या है सीखने को आप जिस विषय में सीखना चाहेंगे वह कला आपके सामने होगी।
अगर आप फेस टू फेस सीखना चाहते हैं तो आपके के मोहल्ले ,चौराहों या घर के आस पास कोई ना कोई कला की जैसे नृत्य, गायन, चित्रकला इत्यादि की क्लासेस आसानी से मिल जाएगी
तो इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी कलम को विराम देना चाहूंगा आप इसी तरह मेरे लेख पढ़ते रहे अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद
हर्ष मालवीय
बी कॉम कंप्यूटर तृतीय वर्ष
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल