Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2021 · 1 min read

निःशुल्क शिक्षा अभियान

सागर की कुंडली
============
निशुल्क शिक्षा अभियान को, दो पूरा सम्मान।
इससे जागे ज्ञान और, बढ़ता स्वाभिमान।।
बढ़ता स्वाभिमान ,जगत में मान बढ़ावे ।
मानों तुम एहसान, मुफ्त जो तुम्हें पढावे।।
कह “सागर” कविराय, शिक्षा का मूल पहचानो।
बाबा भीम की बात, हमेशा बहुजन मानो ।।
बेखौफ शायर… डॉ नरेश “सागर”

1 Like · 239 Views

You may also like these posts

ऐ हवा तू उनके लवों को छू कर आ ।
ऐ हवा तू उनके लवों को छू कर आ ।
Phool gufran
दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
Ashwini sharma
कविताश्री
कविताश्री
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
अहंकार
अहंकार
Rambali Mishra
प्रकृति का अंग होने के कारण, सर्वदा प्रकृति के साथ चलें!
प्रकृति का अंग होने के कारण, सर्वदा प्रकृति के साथ चलें!
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
समय
समय
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शरद ऋतु
शरद ऋतु
अवध किशोर 'अवधू'
आरती लेऽ माँ तैयार छै
आरती लेऽ माँ तैयार छै
उमा झा
कितनी उम्मीदें
कितनी उम्मीदें
Dr fauzia Naseem shad
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
शेखर सिंह
मेरी मुस्कुराहटों की वजह
मेरी मुस्कुराहटों की वजह
ललकार भारद्वाज
दीपावली
दीपावली
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मैंने मेरे हिसाब से मेरे जीवन में
मैंने मेरे हिसाब से मेरे जीवन में
Sonam Puneet Dubey
तितली रानी
तितली रानी
अरशद रसूल बदायूंनी
कौन है ऐसा देशभक्त
कौन है ऐसा देशभक्त
gurudeenverma198
कृष्ण जन्म / (नवगीत)
कृष्ण जन्म / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
वेलेंटाइन / मुसाफ़िर बैठा
वेलेंटाइन / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
यादें
यादें
Dipak Kumar "Girja"
सफर ये मुश्किल बहुत है, मानता हूँ, इसकी हद को भी मैं अच्छे स
सफर ये मुश्किल बहुत है, मानता हूँ, इसकी हद को भी मैं अच्छे स
पूर्वार्थ
"जिंदगी की बात अब जिंदगी कर रही"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
घर
घर
Ranjeet kumar patre
गजब हुआ जो बाम पर,
गजब हुआ जो बाम पर,
sushil sarna
‘स्त्री’
‘स्त्री’
Vivek Mishra
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
3325.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3325.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
उठ!जाग
उठ!जाग
राकेश पाठक कठारा
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
पुस्तक समीक्षा- उपन्यास विपश्यना ( डॉ इंदिरा दांगी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
Manju sagar
मुक्तक 3
मुक्तक 3
SURYA PRAKASH SHARMA
Loading...