Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Sep 2024 · 1 min read

ना मुझे बिहारी कहना प्यारे,

ना मुझे बिहारी कहना प्यारे,
नहीं, ये मेरा बिहार नहीं है।
कल संस्कार, शिक्षा, ज्ञान बाँटा,
आज प्रतिकृति ओझल बनी है।

इतिहास सच्चा थोड़ा दिखाते,
शीशे से सब क्षेत्र बाँटते।
क्या मानूं ये बिहार हमारा?
दिल ने कहा, ये सत्य नहीं है।

वृद्ध चश्मे से दरारें दिखतीं,
स्वार्थ के खेल यहाँ सजते।
कवि तुम्हारे पाँव हैं कब्र में,
मुखौटे झूठे हर ओर लगे।

रात नींद कहाँ अब सोते हो,
दिनभर दिखता नकली उजाला।
संस्कृति की भाषा, संस्कारों से,
नाता टूटा, बोलो ये कैसा?

बिहारी शब्द बने हैं गाली,
क्या तुमने यह सोचा प्यारे?
ना मुझे बिहारी कहना प्यारे,
नहीं, ये मेरा बिहार नहीं है।

वैशाली के खंडहर चीखें,
विद्यापति के गीत सिसकते।
अपनों की धूल उड़ गई है,
ओझल मेरा बिहार हुआ है।

बिहारी कहना अब गंदी बात,
काटिल वन आज गौरव बना
ना मुझे बिहारी कहना प्यारे,
नहीं, ये मेरा बिहार नहीं है।

—-श्रीहर्ष—-

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 34 Views

You may also like these posts

*बता दे आज मुझे सरकार*
*बता दे आज मुझे सरकार*
Dushyant Kumar
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??
पंकज परिंदा
अपने होने की
अपने होने की
Dr fauzia Naseem shad
घर की कैद
घर की कैद
Minal Aggarwal
sp120 कौन सी ऎसी/सच की कलम
sp120 कौन सी ऎसी/सच की कलम
Manoj Shrivastava
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
साँस रुकी तो अजनबी ,
साँस रुकी तो अजनबी ,
sushil sarna
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
Anand Kumar
स्वानंद आश्रम
स्वानंद आश्रम
Shekhar Deshmukh
इश्क
इश्क
Neeraj Mishra " नीर "
वो अदब-ओ-आदाब भी ज़रूरी है ज़िंदगी के सफ़र में,
वो अदब-ओ-आदाब भी ज़रूरी है ज़िंदगी के सफ़र में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* मुस्कुराते नहीं *
* मुस्कुराते नहीं *
surenderpal vaidya
मैं अकूत धन का स्वामी
मैं अकूत धन का स्वामी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
समय साथ निभायेगा।
समय साथ निभायेगा।
Raazzz Kumar (Reyansh)
एक मै था
एक मै था
Ashwini sharma
दुनियाँ की भीड़ में।
दुनियाँ की भीड़ में।
Taj Mohammad
पिता
पिता
Shweta Soni
मैं किसान हूँ
मैं किसान हूँ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पछतावा
पछतावा
Dipak Kumar "Girja"
" बयां "
Dr. Kishan tandon kranti
हिसाब-किताब / मुसाफ़िर बैठा
हिसाब-किताब / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
अपना जख्म
अपना जख्म
Dr.sima
"मौत की सजा पर जीने की चाह"
Pushpraj Anant
जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
Saraswati Bajpai
ऐ ज़िंदगी
ऐ ज़िंदगी
Shekhar Chandra Mitra
आवो करीब तुम यहाँ बैठों
आवो करीब तुम यहाँ बैठों
gurudeenverma198
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है!
शेखर सिंह
परिवेश
परिवेश
Sanjay ' शून्य'
■ वक़्त बदल देता है रिश्तों की औक़ात।
■ वक़्त बदल देता है रिश्तों की औक़ात।
*प्रणय*
Loading...