ना मालूम क्यों अब भी हमको
ना मालूम क्यों अब भी हमको, याद तुम्हारी आती है।
दूर नहीं तू इस दिल से, अब भी करीब तू रहती है।।
ना मालूम क्यों अब भी————————।।
मानते हैं यह हम भी कि, तुम मजबूर हो हद से।
लेकिन प्यार हमारा कभी, कम नहीं हुआ तुमसे।।
वही तस्वीर तुम्हारी अब भी, मेरी आँखों में रहती है।
ना मालूम क्यों अब भी———————–।।
राह हम देखा करते हैं, कब आवोगे तुम मिलने।
कब करेंगे बातें वही, कब बुनेंगे वही सपनें।।
नहीं कोई और मेरे ख्वाबों में, अब भी तू ही रहती है।
ना मालूम क्यों अब भी————————-।।
तुमको यह भी मालूम है, कितना तुम्हें प्यार करते हैं।
देखें हैं तुमने भी वो खत, हमने जो लहू से लिखते हैं।।
मेरे दिल को अब भी खुशी, सिर्फ तुम्ही से मिलती है।
ना मालूम क्यों अब भी————————-।।
आरजू दिल की यही है, तुम रहो सदा खुश-आबाद।
तुमपे नहीं कोई पाबन्दी, बनकै जीवो तुम जी आज़ाद।।
लेते हैं जब भी नाम कोई, तारीफ तेरी ही निकलती है।
ना मालूम क्यों अब भी————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)