ना पूंछों हमसे कैफियत।
कांच जैसा दिल था हमारा,,,
तूने बेवफाई के पत्थर से,
तोड़ दिया है!!!
सब कुछ लूटकर मेरा तुमने,,,
मुझको तन्हा जहां में,
छोड़ दिया है!!!
दिल ने जब भी तुझे याद किया है,,,
वीराने में जाकर,
ये रो दिया है!!!
ना पूंछों हमसे कैफियत हमारी,,,
हमने हंसना रोना,
सब ही छोड़ दिया है!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ