ना तख़्तों ताज चाहिए
ना मांगने से तख़्तों ताज मिलेगा
ना सिर हिलाने से प्रशंसा के दुकान खुलेगा
जैसा लगाओगे फुलवारी उम्मीद के
वैसा ही यहां तुम्हें परिमाण मिलेगा।।
ना मांगने से तख़्तों ताज मिलेगा
ना सिर हिलाने से प्रशंसा के दुकान खुलेगा
जैसा लगाओगे फुलवारी उम्मीद के
वैसा ही यहां तुम्हें परिमाण मिलेगा।।