नास्तिक लोगों का योगदान
नास्तिक लोग
काम को थोड़े अलग ढंग से करते है,
काम अलग नहीं होते, वे ही सब होते है,
करने का तरीका अलग होता है
.
दुनिया में जितना शोर,
धार्मिक लोगों का है,
नास्तिक आदमियों के काम की आवाज नहीं होती,
जगत कल्याण छुपा है,
उनके कर्मों में,
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नास्तिक का अर्थ तात्पर्य सिर्फ़
लोगों द्वारा बनाये गये,
खडे किये गये,
उस पर विश्वास नहीं करते,
उनकी व्यवस्थाओं में समय जाया नहीं करते,
.
उसके ध्यान की साधना,
वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर केंद्रित हो जाती है,
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अब धर्म की छाप और प्रभाव पर नजर डालें,
भागवत गीता के अनुसार
इच्छा ही मत करो,
परिश्रम यानि कर्म किये जाओ,
या तो फल की इच्छा ही मत करो,
या मुझ पर छोड़ दो,
.
दूसरा धर्म की स्थापना में समर्पित श्लोक,
जो हुआ/जो होगा/जो हो रहा है,
अज़ब गज़ब संदेश है,
तू नपुंसक बना रह,
कर्म में परिश्रम करके तूझे क्या मिलेगा,
तू आशावान् बने रहे,
मैंने जो तेल
भाग्य/किस्मत लिखा है,
वही मिलेगा,
.
मौके देखकर हिस्सा/भाग/फल मिलता है,
उसकी मनाही की ओर संदेश,
और लोग संदेह नहीं करते,
इसलिए विज्ञान पैदा ही नहीं होगी,
.
इसलिए परिश्रम करो,
फल पर नज़र,
बनाये रखो,
ताकि भारत की गरीबी मिट सके,
भारतवर्ष विकासशील देश से विकसित बन सके
.
हंस महेन्द्र सिंह