नारी
विषय नारी
मानते अबला तुम ,
बोलते सबला तुम ,
कहते हो भोग्या तुम ।
कितने नारी रूप ?
जन्म दे बनी जननी,
भाई का मान बहिनी ,
आई गोद बन बेटी ।
नतमस्तक भूप ।
शोषित बनती कभी ,
दुर्गा ,चंडी बनी कभी ,
कुदृष्टि डाल ,फेंकते ।
करके हत्या कूप ।
बिना तेरे नहीं सृष्टि ।
बन प्रकृति की दृष्टि ।
सजा के घर अँगना ।
देती निखार रूप ।
स्वरचित ,मौलिक
मनोरमा जैन पाखी