नारी
मैं एक नारी हूँ,
मैं एक अभिमान हूँ,
मैं एक अभिश्राप हूँ,
वही नारी वो जन्म देने के लिए पीड़ा सहन करती हूँ,
और वही नारी जो जन्म देने के साथ कूड़ेदान में मिलती हूँ,
वही नारी जो मंदिर में पूजी जाती हूँ,
और वही नारी जो घर में प्रताड़ित की जाती हूँ,
वही नारी जो भाई की रक्षा सूत्र बांधती हूँ,
और वही नारी जो भाई के शोषण का शिकार होती हूँ,
वही नारी जो तुला लिए न्याय की देवी बनकर खड़ी रहती हूँ,
और वही नारी जो अपने साथ हुए अन्याय की गुहार लेकर बेबस खड़ी रहती हूँ,
मैं एक नारी हूँ, एक अभिमान हूँ, एक अभिश्राप हूँ, मैं नारी हूँ।