“नारी”
(1)
प्रेम बसता
नारी सम्मान जहां
सुख टिकता
(2)
रस्सी पे चाल
पीहर -ससुराल
नारी कमाल
(3)
अभिन्न मित्र
मुस्कान और श्रम
नारी के इत्र
(4)
शर्म है धन
नारी हृदय बसा
कोमल मन
(5)
मेहंदी नारी
जिम्मेदारी के पाट
पिस के रची
(6)
रूप हज़ार
भक्ति,शक्ति या प्रेम
नारी अपार
(7)
नारी ने लिखा
वीरता इतिहास
जग गवाह
स्वरचित
ऋतुराज दवे