नारी
नारी का तन ।
नहीं कोई वस्तु ।
पवित्र मन ।।
माँ का प्यार ।
कम न होगा कभी ।
है बेशुमार ।।
एक भारत ।
फिर जुदा क्यों है ।
ये पुरुषार्थ ।।
समझो अर्थ ।
क्यों कैद हो तुम ।
बनो समर्थ ।।
करो ये प्रण ।
नहीं हो कभी अब ।
नारी हनन ।।
आरती लोहनी
नारी का तन ।
नहीं कोई वस्तु ।
पवित्र मन ।।
माँ का प्यार ।
कम न होगा कभी ।
है बेशुमार ।।
एक भारत ।
फिर जुदा क्यों है ।
ये पुरुषार्थ ।।
समझो अर्थ ।
क्यों कैद हो तुम ।
बनो समर्थ ।।
करो ये प्रण ।
नहीं हो कभी अब ।
नारी हनन ।।
आरती लोहनी