नारी
नारी (चौपाई)
नारी बिन अस्तित्व न नर का।
नहीं घाट का और न घर का।।
नारी को कस्तूरी मानो।
इसका कोमल उर पहचानो।।
विधि ने रचा इसे खुश हो कर।
भेजा पृथ्वी पर प्रिय मनहर।।
सकल देह हीरे का माला।
दिव्य सुशोभित मधुमय प्याला।।
नारी की पहचान जिसे है।
अति अनुपम शिव ज्ञान उसे है।
जो नारी को नहीं जानता।
वह ईश्वर को नहीं मानता।।
जगती की आभा नारी है।
रम्य सौम्य अद्भुत प्यारी है।।
विनयशील प्रियतमा सुन्दरम।
नारी अति भावुक शुभ अनुपम।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली वाराणसी।