नारी!
नारी एक माँ है
बालक की प्रथम गुरु है
नवनिर्माण केवल
नारी द्वारा ही शुरू है।
नारी प्यारी बेटी है
घर की सोना है
उसके बिना कर्ज़दार
घर का हर कोना है।
नारी ही भाई की बहन है
कच्चे धागों का एक
पक्का बन्धन है।
नारी घर की मर्यादा है
दो अनजान परिवारों के
मध्य का एक वादा है ।
पति के जीवन की संगिनी है
होती वो पति पूर्णता
नारी अर्धाग्नि है ।
नारी ममता,प्रेम का मधुबन है
नारी घर -द्वार का
सुवासित चन्दन है।
इसने ही बन महान मीरा विष पिया है
समाज को अटल निष्ठा का
एक पवित्र पाठ दिया है ।
रहे प्रेम में तो अबला है
पर शत्रु के लिए सबला है।
नारी ही देश -भक्ति की कहानी है
नारी ही झांसी की रानी है।
कभी घर -आँगन को
दुःखों में इससे ही आड़ है
तो कभी चम्बल और
सतपुड़ा में इसकी दहाड़ है।
प्राचीन युग से आज तक
इसमें निरन्तर बदलाव है
बदले नारी के विचार,कार्य
और बदले निरन्तर चाव है!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक