नारी सम्मान
नारी सम्मान
अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिए महिलाओं को अधिकार देना ही महिला सशक्तिकरण है ।परिवार और समाज की सीमाओं को पीछे छोड़ना और निजी फैसले विचार, दिमाग और अधिकार आदि सभी पहलुओं पर महिलाओं को स्वतंत्र होना चाहिए और यह पुरुषों के बराबर चलने से परिवार और समाज का उज्जवल भविष्य की स्थापना का कार्य है। वह हर क्षेत्र में अपना खुद का फैसला ले सके चाहे वह स्वयं देश, परिवार ,समाज किसी के लिए भी हो, देश को विकसित बनाने तथा विकास के लक्ष्य को पाने के लिए महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।
भारतीय नारी के गुण–
सुशील गुणों से युक्त नारी अपनी और सबकी नजर में उच्च स्थान रखती है।
सदा मुखड़े पर मधुर मुस्कान बनाए रखने वाली नारी सदाचारी सुलक्षणी, शालीनता से ओतप्रोत पहले दूसरों को तृप्त करने वाली पश्चात स्वयं के लिए सोचने वाली नारियां परिवार समाज और देश की आन और शान होती है।
प्राचीन समय से ही भारतीय नारियों के सर्वोत्तम गुण जिनके कारण भारत पहले से ही विश्व गुरु रहा है उसका संक्षिप्त विवरण आपके सामने प्रस्तुत है।
एक बार भगवान श्री कृष्ण जी की अर्धांगिनी सत्यभामा ने द्रौपदी से प्रश्न किया हे द्रोपती! कैसे तुम अति बलशाली पांडू पुत्रों पर शासन करती हो? वे कैसे तुम्हारे आज्ञाकारी है? तथा तुमसे कभी कुपित नहीं होते।
द्रौपदी ने उत्तर दिया – हे सत्यभामा! पांडू पुत्रों के प्रति मेरे व्यवहार को सुनो–
मैं अपनी इच्छा, वासना तथा अहंकार को बस में कर अति श्रद्धा एवं भक्ति से उनकी सेवा करती हूं ।मैं किसी अहंकार भावना से उनके साथ व्यवहार नहीं करती। मैं बुरा और असत्य भाषण नहीं करती ।मेरा ह्रदय कभी किसी सुंदर युवक ,धनवान या आकर्षण पर मोहित नहीं होती। मैं कभी अपने पतियों से पहले स्नान नहीं करती, भोजन नहीं करती तथा उनसे पहले कभी नहीं सोती। जब कभी भी मेरे पति क्षेत्र से वन से या नगर से लौटते हैं तो मैं उसी समय उठ जाती हूं और उनका स्वागत करती तथा उनको जलपान कराती हूं।
मैं घर का सामान तथा भोजन को सदैव स्वच्छ बनाती एवं क्रम से रखती हूं। मैं कभी कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करती, तथा कभी भी बुरी स्त्रियों का अनुसरण नहीं करती ।मैं वही करती हूं जो उनको रुचि कर या सुख कर लगता है ।कभी भी आलस्य नहीं दिखाती और बिना विनोद अवसर के नहीं हंसती। मैं द्वार पर बैठकर व्यर्थ समय नहीं नष्ट करती ।जोर -जोर से हंसना, भावुकता तथा अन्य किसी भी प्रकार की अप्रिय लगने वाली वस्तुओं से स्वयं को बचाती हूं ,एवं सदैव पति की सेवा में रत रहती हूं।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश